झारखण्ड की राजनीति में सरयू राय का बड़ा धमाका, आम आदमी पार्टी में जाने की तैयारी!

RANCHI : झारखण्ड की सियासी से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि पूर्व बीजेपी नेता और मंत्री रहे सरयू राय (Saryu Roy) आने वाले कुछ दिनों में अपने विरोधियों को चौंका सकते हैं और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) को जल्द ही ज्वाइन कर सकते हैं। इसके संकेत मिलने शुरू हो गये हैं।
सरयू राय का बड़ा ध’माका
दरअसल, पूर्व बीजेपी नेता सरयू राय ने ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद झारखण्ड का सियासी पारा गरमा गया है। इस भेंट मुलाकात के सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं। पंजाब में शानदार जीत से उत्साहित अरविंद केजरीवाल आने वाले दिनों में अन्य राज्यों में पार्टी का विस्तार करने की कोशिश तेज करेंगे। उनके लिए सरयू राय झारखंड में मुफीद साबित हो सकते हैं।

सरयू राय ने बनाया है अलग मोर्चा
गौरतलब है कि झारखण्ड की बदलती सियासत के बीच विधायक सरयू राय ने हाल ही में 5 विधायकों का एक अलग मोर्चा बनाया है। जो सदन के भीतर-बाहर बतौर प्रेशर ग्रुप काम करेगा। इसमें दो सीटों वाली आजसू पार्टी के सुदेश महतो और लंबोदर महतो, एनसीपी के विधायक कमलेश कुमार सिंह, बरकट्ठा के निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव समेत सरयू राय शामिल हैं।
भ्र’ष्टाचार के खिलाफ रहे हैं मुखर
विदित है कि झारखण्ड की सियासत में सरयू राय लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर होकर आवाज़ बुलंद करते रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की सियासत भी भ्रष्टाचार को उजागर करने पर केन्द्रित रही है लिहाजा सरयू राय उनके लिए झारखण्ड में एक चेहरा हो सकते हैं।
चारा घोटाले का खुलासा करने वाले सरयू राय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के भ्रष्टाचार के कारनामे भी उजागर किए। हालांकि इस मुलाकात पर उनका कहना है कि दिल्ली हवाई अड्डा पर सीएम अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भेंट हो गई। वे रोड शो के लिए अमृतसर जा रहे थे। विभिन्न विषयों पर बात हुई, पुरानी स्मृतियां ताजा हुईं। अगली बार दिल्ली आने पर औपचारिक भेंट के लिए कहा है।
अन्य दलों के नेताओं से रही है करीबी
विदित है कि सरयू राय के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संग करीबी रिश्ते हैं। अन्य सियासी दलों के नेताओं के साथ भी उनके मधुर संबंध है। यही वजह है कि जब उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ ताल ठोकी तो तमाम राजनीतिक दलों ने भी उन्हें प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन दिया था। फिलहाल सरयू राय के इस कदम के बाद रघुवर दास की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।