मनोरंजन

वाल्मिकी और वेदव्यास की रचनाओं को दिखाते हैं आरआरआर-बाहुबली के राजमौली

(महेश कुमार मिश्र की कलम से) : दुनिया भर में दो ही कहानियों को मूल, वास्तविक या कहें की असली (Original) माना जाता है। ये कहानियां हैं रामायण, जिसे महर्षि वाल्मिकि ने रचा और दूसरी है महाभारत, जिसे महर्षि वेद व्यास ने लोगों तक पहुंचाया। दोनों ही महाकाव्य अलग-अलग कालखंडों में लिखे गये। सिनेमा में नयी कहानियों की जरूरत हमेशा ही रहती है। भारत के सिनेमायी इतिहास में एस.एस. राजमौली का नाम हर कोई जानता है क्योंकि उन्होंने बाहुबली और आरआरआर जैसी अद्वितीय रचनाएं लिखी हैं।

शक्तिशाली पात्र के रचनाकार है राजमौली

बाहुबली की मूल कहानी को अगर देखें तो स्क्रीनप्ले राजमौली ने स्वयं लिखा लेकिन कहानी उनके पिता वी. विजयेन्द्र प्रसाद ने लिखी। प्रसाद दक्षिण भारतीय फिल्म जगत के जाने-माने कहानीकार हैं, जिन्होंने बजरंगी भाईजान, राउडी राठौर, मगधीरा जैसी कई सुपरहिट कहानियां लिखी, जिनपर ब्लॉकबस्टर फिल्में बनीं हैं।

बाहुबली (दोनों भाग) फिल्म पूर्णतयः महाभारत पर ही केन्द्रित है। इसके पात्रों और कथानक की रचना कौरव और पांडवों के चरित्रों के आधार पर ही रची गयी। अमरेन्द्र बाहुबली और उसके पुत्र महेन्द्र बाहुबली में पांडवों यानि कि युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम और नकुल-सहदेव के गुणों को डालकर शक्तिशाली पात्र की रचना हुई तो वहीं भल्लाल देव और उसका पिता कौरवों की भांति दिखायी दे जाते हैं।

भीष्म के रूप में कटप्पा

बाहुबली को दोनों भागों में महाभारत के कई प्रश्नों के उत्तर विजयेन्द्र प्रसाद देते हैं, जिसमें द्रौपदी के ची’रह’रण को न दिखा कर, नारी की सशक्त स्थिति को दिखाते हुए, देवसेना के पात्र को शस्त्र ज्ञाता के रूप में पेश करते हैं। देवसेना अपने शील की रक्षा स्वयं करती हुई दिखती है और अपने अपमान का बदला भी लेती है।

बाहुबली के माध्यम से कई सम्भवानाएं भी खुलती हैं कि क्या अर्जुन के मरने पर पांडव युद्ध नहीं जीतते, तो इसका उत्तर प्रसाद ‘बाहुबली’ में देते हैं कि अभिमन्यु में भी दैवीय गुण थे, जो कि महाभारत को जीताने में सक्षम होते। महेन्द्र बाहुबली महाभारत के इसी उत्तर की पूर्ति करता है। भीष्म के रूप में कटप्पा अपने क्षेत्राधिकार में बंधे होते हैं और धर्म के साथ में राज्य को विनाश तक ले ही आते हैं। उनके द्वारा सत्य का साथ ही माहिष्मती को बचाता है।

एस.एस. राजमौली की फिल्मों में भगवान मनुष्य को बचाने नहीं आते बल्कि मनुष्य को ही भगवान की तरह सक्षम दिखा कर हर चुनौतियों का लोहा लेते दिखाया गया है।

गजब के कहानीकार हैं राजमौली

500 करोड़ से भी ज्यादा कमा लेने वाली फिल्म आरआरआर में भी रामायण के पात्रों को केंद्रित करके कहानी की रचना की गयी। इस कहानी के केन्द्र में स्त्री अ’पहर’ण ही है जो कि छोटी से बच्ची के रूप में दिखाया गया है। एक गांव के बच्चे को राम के रूप में दिखा कर, उसको रावण यानि की अंग्रेज अधिकारी से अकेले लड़ते दिखाया गया है। इस लड़ाई में उसको हनुमान की तरह भीम बचाता हुआ दिखाता है। इस कहानी में तो साक्षात राम के रूप को रूपक में लेते हुए दर्शकों के समक्ष पेश किया गया और लंका के रूप में अंग्रेज अधिकारी की छावनी को भी जलते हुए दिखाया गया।

भारतीय कथानकों में सदैव से रामायण और महाभारत के पात्रों-कथानकों का प्रयोग होता रहा है। दर्शक के रूप में सिनेमा की भव्यता के बीच हम पौराणिकता को भी मनोरंजन के साथ समझ सके तो कहीं न कहीं ये रचनाएं दीर्घकाल तक लोगों के बीच चर्चा का केन्द्र अवश्य रहेंगी।

लेखक – महेश कुमार मिश्र (फिल्मकार, लेखक और असिस्टेंट प्रोफेसर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button