
इस कहानी की शुरुआत होती है 28 दिसंबर 2013 से। इस दिन भारत की राजधानी दिल्ली एक ऐतिहासिक बदलाव की गवाह बनी. दिल्ली का जो रामलीला मैदान देश में कई बड़े छोटे आंदोलनों और उनसे उपजे समाधानों का साक्षी रहा था, उसी रामलीला मैदान से एक और क्रांति अंगड़ाई ले रही थी. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले रहे थे। भारतीय राजनीति के फलक पर आम आदमी पार्टी का उभार हुआ था। लोगों की समस्याओं के अनूठे और सरल समाधान के अरविंद केजरीवाल के नए और ताजगी भरे विचारों ने लोगों का दिल जीत लिया था। तब शायद ही किसी को ये आभास हुआ हो कि क्रांति की ये अलख इतनी तेजी से लोगों को जोड़ेगी कि 9 साल के अंदर ही एक और राज्य पंजाब में लोग शासन की बागड़ोर आम आदमी पार्टी के हाथ में सौंप दें।

आप की सियासत के तीन स्तंभ
आखिर ऐसा क्या हुआ इन 9 सालों में? वो कौन सा जादू है, जिसके बल पर लोग सम्मोहित होते चले गए. इस जादू का नाम है अरविंद केजरीवाल और उनके गवर्नेंस का मॉडल। आखिर केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस क्या है? आखिर क्या है वो मॉडल, जिससे प्रभावित होकर दिल्ली के लोग एक के बाद एक हर चुनाव में प्रचंड बहुमत से आम आदमी पार्टी की सरकार बना रहे हैं।
केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस के या आम आदमी पार्टी की राजनीति के तीन स्तंभ हैं। ये हैं क’ट्टर ईमानदारी, क’ट्टर देशभक्ति और इंसानियत। विचारधारा के इन्हीं तीन स्तंभों के इर्द-गिर्द पार्टी अपने सारे एजेंडे लेकर लोगों के बीच जाती है और उनसे एक मौका मांगती है। और एक बार मौका मिल जाने पर लोगों को ये मॉडल इस तरह भा जाता है कि फिर वो दूसरे को कभी मौका नहीं देते।
तो पहले बात केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस के पहले स्तंभ क’ट्टर ईमानदारी की. अरविंद केजरीवाल बार बार ये कहते सुने जाते हैं कि हमारी सरकार कट्टर ईमानदार सरकार है। इसे ऐसे समझिए.

करप्शन से समझौता नहीं
अभी हाल की ही घटना है। पंजाब में भगवंत मान सरकार के एक मंत्री की भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास आती है। वो मंत्री से इस बाबत पूछते हैं. मंत्री अपना गुनाह कबूल करता है और बिना किसी हिचक से मान साब उस मंत्री को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देते हैं. साथ ही पुलिस को आदेश देते हैं कि मंत्री के खिलाफ उपयुक्त कानूनी कार्रवाई की जाए. मंत्री सलाखों के पीछे पहुंच जाता है। मान साब चाहते थे तो मंत्री को बचा सकते थे क्योंकि मंत्री के भ्रष्ट आचरण के बारे में सिर्फ उन्हें ही पता था. किसी मीडिया को भी इस बारे में नहीं पता था। इसके पहले दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने भी अपने मंत्री को भ्रष्टाचार की शिकायत में मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। आजादी के 75 सालों में ऐसा कभी सुनने में नहीं आया. जब अपनों पर भी कार्रवाई करने में देर ना लगे तो इसे कट्टर ईमानदार ही कहेंगे।
इसे एक और उदाहरण से समझिए। दिल्ली में जब पहली बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो पता चला कि दिल्ली में एक फ्लाईओवर के निर्माण का प्रस्ताव है। मंगोलपुरी से मुधुबन चौक फ्लाईओवर का काम 423 करोड़ रुपये में किया जाना था लेकिन समय पूर्व काम करके केजरीवाल सरकार ने इसे केवल 323 करोड़ रुपये में पूरा कर दिया। और इस प्रकार इस परियोजना में सरकार को 100 करोड़ रुपये की बचत हुई।

एक फ्लाईओवर से सरकार को 100 करोड़ की विशुद्ध बचत। दूसरे राज्यों में या पूर्ववर्ती सरकारों में इसका उल्टा होता आया था। एक तो पहले ही अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ा चढ़ाकर रखी जाती थी. बढा हुआ लागत नेताओं और अधिकारियों की जेब में जाता था। इसके बाद प्रोजेक्ट को जानबूझ कर लटकाया जाता था। देरी की वजह से एक प्रोजेक्ट का बजट बढता चला जाता था और उससे खजाने को चपत लगती थी. अफसर और नेता मलाई काटते थे. इस पूरे घपले पर केजरीवाल सरकार ने रोक लगा दी। ना सिर्फ प्रोजेक्ट के बजट को कम किया बल्कि उसे समय से पूरा कर उसकी लागत और कम कर दी। इस तरह से दिल्ली के सिर्फ 7 फ्लाईओवर से केजरीवाल सरकार ने 500 करोड़ से ज्यादा की रकम बचा ली।
ईमानदारी की ये एक छोटी-सी मिसाल भर है। इस तरह से केजरीवाल सरकार ने हर विभाग में भ्रष्टाचार के लिकेज को रोका. 2 हजार करोड़ के फ्लाईओवर के प्रोजेक्ट से 500 करोड़ से ज्यादा की रकम बचाने का मतलब है कि प्रोजेक्ट की कुल लागत का करीब 25 फीसदी पैसा जो भ्रष्ट नेताओं और सरकारी अधिकारियों के जेब में जाता, वो खजाने में महफूज रह गया। ये पैसा दिल्ली की जनता का है।
आप अंदाजा लगा लीजिए कि इस तरह से बंदरबांट को रोक देने से दिल्ली के 70 हजार करोड़ के बजट से हर साल कितना पैसा सरकार बचा लेती है। अगर 25 फीसदी की जगह 20 फीसदी का भी औसत लिकेज मान कर चलें तो सरकार हर साल पूरी दिल्ली में करीब 15 हजार करोड़ की बचत कर रही है और उस पैसे को जनता के हित पर खर्च कर रही है। जनता का पैसा जनता के पास.

मॉडल ऑफ गवर्नेंस का दूसरा स्तंभ – कट्टर देशभक्ति
केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस का दूसरा स्तंभ है कट्टर देशभक्ति। तो सवाल ये है कि आम आदमी पार्टी के लिए देशभक्ति क्या है? आम आदमी पार्टी देशभक्ति को किस रुप में देखती है? दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में इसका मतलब समझाते हुए कहा कि हम अपने देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार हैं. हमारा रोम-रोम देश के लिए समर्पित है।
इस विचारधारा को और व्यापक करते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस सवाल को बहुत ही खूबसूरती से दिल्ली विधानसभा के सामने रखा था। जब 2021 में देशभक्ति बजट पेश किया था तो उस पर हुई बहस के दैरान उन्होंने सरकार की देशभक्ति को लेकर सोच को पूरी तरह से साफ कर दिया था।

उन्होंने कहा कि हमारे लिए पढ़ना देशभक्ति है, पढ़ाना देशभक्ति है। अच्छे स्कूल, कॉलेज खुलवाना देशभक्ति है। अच्छे सरकारी अस्पताल बनवाना देशभक्ति है, मोहल्ला क्लिनिक खुलवाना देशभक्ति है, महिलाओं के लिए मोहल्ला क्लिनिक खुलवाना देशभक्ति है. तिरंगा लहराना देशभक्ति है और उस तिरंगे के नीचे खड़े हरेक व्यक्ति को मान-सम्मान देना देशभक्ति है. सबको 24 घंटे बिजली मिले, लोगों को पीने का साफ पानी मिले, सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, युवाओं को रोजगार मिले, महिलाओं और बुजुर्गों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और देश की सड़कों को साफ और सुंदर रखे ये भी हमारे लिए देशभक्ति है। हमारे लिए ये भी देशभक्ति है कि देश का व्यापारी फले फूले. कलाकारों को सम्मान मिले. जिनको कुदरत से कम मिला हो उनको कानून ज्यादा दे दे ये भी हमारे लिए देशभक्ति है।

अगर हम दिल्ली में हो रहे काम को देखें तो अपने आप स्थिति साफ हो जाएगी. देशभक्ति के मायने को लेकर जिन बातों का उपर में जिक्र किया गया है, वो सारी बातें दिल्ली में लागू हो रही है. पूरी दिल्ली में 150 जगहों पर तिरंगा लगाने की बात हो या उस तिरंगे के नीचे खड़े हर व्यक्ति को सम्मान देने की, केजरीवाल सरकार हर कसौटी पर खरी उतरी है।
आम आदमी पार्टी और केजरीवाल मॉडल आफ गवर्नेंस का तीसरा स्तंभ है इंसानियत. अब इस बात को ऐसे समझिए कि दिल्ली सरकार रे’ड ला’इट पर भी’ख मांगने वाले बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूल बना रही है। हम रोज रे’डलाइट पर रुकते हैं। वहां कुछ बच्चे भी’ख मांगने के लिए आ जाते हैं या कुछ बेचने के लिए आ जाते हैं. कार की खिड़की के शीशे पर खटखटाते हैं। कुछ लोग इग्नोर करते हैं कुछ 5 या 10 रुपए देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। आजादी के बाद की सरकारों ने इन बच्चों को लिए कुछ नहीं किया।

कुछ सरकारों ने एंटी बेगिंग एक्ट बना दिया। या फिर कुछ ने उन्हें पकड़ कर किसी सेंटर में डाल दिया। वहां उनके साथ वैसा ही व्यवहार होता रहा। किसी ने पूर्ण समाधान के बारे में नहीं सोचा। क्योंकि उन सरकारों में इंसानियत की कमी थी। केजरीवाल सरकार ने पहली बार इन बच्चों के बारे में गंभीरता से सोचा है। उनके लिए सरकार वर्ल्ड क्लास बोर्डिंग स्कूल बना रही है. सभी बच्चे स्कूल के हॉस्टल में रहेंगे। सरकार इन बच्चों का मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक तौर पर ख्याल रखने के लिए देश के जाने माने एक्सपर्ट की सहायता ले रही है।
बढ़िया और संवेदनशील शिक्षकों की फौज इन्हें पढ़ाएगी। इनमें से कुछ बच्चे पढ़-लिखकर आईएएस-आइपीएस बनेंगे तो कुछ बनेंगे वैज्ञानिक. कुछ डॉक्टर तो कुछ बिजनेसमैन. कुछ बच्चे खेलकूद की दुनिया में नाम रौशन करेंगे और ओलंपिक से मेडल लाएंगे।
इन तीन स्तंभों पर टिकी विचारधारा की इमारत की बदौलत आम आदमी पार्टी जिस तरह से देश के लोगों के दिल में जगह बनाते जा रही है वो अभूतपूर्व है। आज जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और सुदूर असम से लेकर गुजरात तक हर राज्य से लोग पार्टी के साथ जुड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी 130 करोड़ देशवासियों का गठबंधन बना कर देश की समस्याओं से लड़ने के लिए तैयार दिख रही है।