बिहार

BIHAR : जेडीयू और बीजेपी के बीच इन 5 वजहों से बढ़ी त’करार, फिर झ’टका देंगे नीतीश कुमार

PATNA : बिहार में सत्ता परिवर्तन का खेल एकबार फिर होने वाला है। माना जा रहा है कि आज ही इसकी घोषणा भी हो जाएगी क्योंकि जेडीयू के साथ-साथ महागठबंधन की इस वक्त अहम बैठक हो रही है। इस बीच कांग्रेस की तरफ से भी बड़ा दावा किया गया है कि बिहार में जेडीयू और महागठबंधन साथ आ गये हैं लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर किन वजहों से बीजेपी और जेडीयू में दूरियां बढ़ गई हैं। समीक्षा करने पर दोनों के बीच अ’नबन की 5 बड़ी वजहों का पता चला है।

पहली वजह : सांसदों की संख्या के अनुपात में मंत्री पद JDU को नहीं मिलना

रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के CM नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्रिमंडल में समान अनुपात में प्रतिनिधित्व चाहते हैं। इस समय बिहार में दोनों दलों के 16-16 लोकसभा सांसद हैं। ऐसे में JDU चाहती है कि जितने मंत्री बिहार कोटे से केंद्र में BJP से बनाए गए हैं, उतने ही जदयू से भी बनाया जाना चाहिए। जबकि, 2019 के बाद BJP के नेतृत्व वाली NDA सरकार में JDU को सिर्फ एक मंत्री पद ऑफर किया गया है।

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यही वजह है कि रविवार को JDU राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी कहा है कि जनता दल यूनाइटेड केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक बार फिर से शामिल नहीं होगी। साथ ही JDU ने आरसीपी सिंह की मदद से JDU को तोड़ने की साजिश का भी आरोप लगाया है।

दूसरी वजह: स्पीकर विजय कुमार सिन्हा – CM नीतीश के बीच त’करार

CM नीतीश कुमार BJP कोटे से विधानसभा स्पीकर बने विजय कुमार सिन्हा को काफी पसंद नहीं करते हैं। कई बार सदन के अंदर और बाहर नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के बीच विवाद भी हुआ है लिहाजा इस अनबन को बड़ी वजह माना जा रहा है।

इसके अलावा BJP प्रदेश अध्यक्ष संजय जायवाल ने भी अग्निपथ योजना लागू होने के बाद बिहार में हो रहे हिंसक प्रदर्शन के बाद नीतीश सरकार पर हमला करते हुए कहा था, ‘सिर्फ भाजपा को टारगेट किया जा रहा है। इसे जल्द रोका जाए, नहीं तो फिर किसी के लिए ठीक नहीं होगा।’ यही वो वजह है जिसकी वजह से दोनों दलों के बीच सब कुछ सही नहीं चल रहा है।

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तीसरी वजह: BJP और JDU के बीच अलग-अलग पॉलिसी को लेकर मतभेद

BJP की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर और राज्यों में एक साथ चुनाव कराने की सोच रही है, जबकि JDU ने इसका खुलकर विरोध किया है। JDU ने कहा है कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की पॉलिसी प्रैक्टिकली सही नहीं है।’

यही नहीं अग्निपथ योजना पर भी JDU का स्टैंड BJP से अलग रहा है। जब बिहार में इस फैसले पर जमकर बवाल हो रहा था, तब CM नीतीश कुमार ने इस मामले में चुप्पी साध ली थी। इसके अलावा कॉमन सिविल कोड जो BJP का कोर एजेंडा है, इसके मामले में भी JDU का रास्ता अलग है।

चौथी वजह : BJP के मंत्रियों पर CM नीतीश चाहतें हैं कंट्रोल

रिपोर्ट्स के मुताबिक नीतीश कुमार चाहते हैं कि उनकी सरकार में BJP कोटे से बनने वाले मंत्रियों पर उनका कंट्रोल हो। यही नहीं CM नीतीश ये भी चाहते हैं कि इन मंत्रियों के चयन में भी उनकी राय ली जाए, जबकि ऐसा नहीं हो रहा है। अमित शाह अपने पसंदीदा लोगों को बिना मुख्यमंत्री से राय लिए मंत्रिमंडल में शामिल कर ले रहे हैं।

पांचवी वजह : JDU ने मंगलवार को बुलाई पार्टी की मीटिंग

बिहार में चल रहे सियासी गहमा-गहमी के बीच JDU ने अपने सभी सांसदों और विधायकों को मंगलवार को एक मीटिंग के लिए बुला लिया है। इस बारे में पार्टी के सीनियर नेता केसी त्यागी का कहना है कि मंगलवार को पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग होनी है। यह रेगुलर होने वाली मीटिंग की तरह ही है। इस मीटिंग को लेकर अफवाह नहीं फैलाएं।

हालांकि इन सबके बीच राबड़ी आवास पर होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए आए कांग्रेस नेता और बिहार प्रभारी भक्त चरण दास के साथ-साथ शकील अहमद खान ने भी घोषणा की कि सबकुछ तय हो गया है। जेडीयू और महागठबंधन साथ आ गये हैं। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम होंगे।

राबड़ी देवी आवास के बाहर मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता शकील अहमद खान ने कहा कि आगे-आगे देखिए होता है क्या….। सबकुछ तय है। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की हार की शुरुआत बिहार से अब हो चुकी है।

पहले भी नीतीश ने BJP को दिया है झ’टका

NDA में भले ही JDU सबसे पुराना साथी हो लेकिन कई मौकों पर इसने BJP को बड़ा झ’टका दिया है। ऐसे ही तीन मौकों को हम यहां बताते हैं।

पहला मौका : जून 2010 की बात है। नरेंद्र मोदी BJP राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने बिहार आए थे। नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी समेत BJP के कई बड़े नेताओं को अपनी तरफ से डिनर के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे कैंसिल कर दिया था। हालांकि, बाद में नीतीश कुमार ने इसके लिए BJP नेता सुशील मोदी को जिम्मेदार बताया था।

दूसरा मौका : 2014 लोकसभा चुनाव से पहले BJP नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही थी। इस वक्त NDA को सबसे ज्यादा JDU की जरूरत थी, लेकिन इसी समय नीतीश कुमार ने अपने 17 साल पुराने दोस्ती के रिश्ते को तो’ड़ने का फैसला लिया था।

तीसरा मौका : 2002 में गुजरात के गोधरा कां’ड के बाद नीतीश कुमार ने इस घ’टना के लिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया था। इस वक्त भी नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली JDU केंद्र की NDA सरकार के साथ गठबंधन में थी।

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