बिहार

जातीय जनगणना को लेकर नीतीश सरकार ने बढ़ाए तेज कदम, जानिए जनगणना का काम कब होगा पूरा

PATNA : बिहार में जातीय जनगणना को लेकर खूब सियासत हुई है लेकिन अब इस मुद्दे पर सरकार ने कदम आगे बढ़ा दिए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 23 अगस्त 2021 को सर्वदलीय बैठक के बाद इसपर मुहर लगायी थी लेकिन अब नई सरकार ने इस दिशा में कदम भी आगे बढ़ा दिया है।

खर्च होंगे 500 करोड़ रुपये

बिहार में बीजेपी (‍BJP) छोड़ने के बाद नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया है। अब जातिगत जनगणना को लेकर तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। जाति आधारित गणना के मकसद से 8 स्तरों पर अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम काम करेगी। इसके लिए 9 महीने का वक्त दिया गया है और इसमें 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। जनगणना के काम को फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

8 स्तरों पर टीम करेगी काम

बिहार में नई सरकार के गठन के बाद जातीय आधारित जनगणना कराने के लिए सरकार ने अब अपनी तैयारी तेजी से शुरू कर दी है। जाति आधारित गणना के मकसद से 8 स्तरों पर अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम काम करेगी। इस टीम में शिक्षक, लिपिक, मनरेगा कर्मी, आंगनवाड़ी सेविका से लेकर जीविका समूह के सदस्यों को शामिल किया गया है। जिलाधिकारी को इस बात की छूट दी गई है कि वह इनमें से किस के माध्यम से जाति आधारित गणना का काम कराना चाहते हैं। निगरानी का तंत्र 7 स्तर से संचालित होगा।

डिजिटल मोड में होगी गणना

गौरतलब है कि जातीय जनगणना से जुड़े आंकड़ों का कलेक्शन डिजिटल मोड में मोबाइल एप के माध्यम से किया जाएगा। इससे आंकड़ों के संकलन में सुविधा मिलेगी। प्रगणक के अवसर पर उन्हें आवंटित क्षेत्र का नक्शा और ले-आउट स्केच लिखित तैयार किया जाएगा। मकानों को नंबर भी दिया जाना है। इसके बाद जाति आधारित गणना के लिए बने प्र-पत्र और मोबाइल ऐप में निर्धारित कोर्ट के साथ आंकड़े अंकित किया जाएंगे। किसी के द्वारा दिए गए व्यक्तिगत आंकड़ों में किसी तरह का बदलाव या फिर बदल नहीं किया जाएगा। कोई भी सूचना किसी से साझा नहीं की जाएगी।

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