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मंगलवार को करेंगे ये काम तो होगी हर मनोकामना पूरी, जानिए 10 रोचक बातें

NEWS DESK : हिन्दू धर्म शास्त्रों में हर घड़ी और वार का विशेष विधान दिया गया है। पंचांग के मुताबिक किसी भी कार्य का शुभारंभ करने से पहले तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को देखना बेहद जरूरी है। इसी से शुभ लग्न और मुहूर्त का पता लग जाता है। ज्योतिष विज्ञान में वार, तिथि, माह, लग्न और मुहूर्त से ही फलादेश की गणनाएं की जाती हैं। हिन्दू विधान में मंगलवार का दिन विशेष माना जाता है। आखिर क्या विशेषताएं हैं जो इस दिन को खास बनाती हैं। हम आपके सामने ऐसे 10 रोचक बातें लेकर आएं है :

1. मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन है। मंगलवार की प्रकृति उग्र होती है। ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है और इनका वार भी मंगल ही है। अगर आपकी कुंडली में मंगल की स्थिति अच्छी है तो भाई, मित्र और रिश्तेदारों से आपके संबंध अच्छे रहेंगे और आपको उच्च पद भी प्राप्त होगा। जो भी मंगलवार को हनुमानजी की पूजा और व्रत करते हैं उन्हें कभी भी शनि का डर नहीं रहता है।

2.  स्कंदपुराण में मंगल की उत्पत्ति का विवरण मिलता है कि भगवान विष्णु के पसीने की बूंद से धरती द्वारा यह ग्रह अस्तित्व में आया। वामन पुराण के अनुसार महादेव के द्वारा म’हासुर अंधक के व’ध के बाद इस ग्रह की उत्पत्ति हुई। महाभारत में विवरण मिलता है कि मंगल ग्रह का जन्म कार्तिकेय के शरीर से हुआ।

3. मंगलवार का ग्रह मंगल है, नौ ग्रहों में से एक और आकाश मंडल का चौथा ग्रह है। इसकी पृथ्वी से दूरी करीब 22 करोड़ 40 लाख किलोमीटर है। इसका व्यास 6860 किलोमीर का है और यह 687 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। घूमने के दौरान मंगल, पृथ्वी के निकट भी आता है और तब इसकी दूरी करीब 7 लाख 80 किलोमीटर होती है। ज्योतिष के मुताबिक यह ग्रह जब धरती की सीध में आता है तब इसका उदय माना जाता है और उदय के पश्चात 300 दिनों के बाद यह वक्री होकर 60 दिनों के लिए चलता है। बाद में फिर सामान्य परिक्रमा मार्ग पर आकर 300 दिनों तक चलता। जिसे मंगल का अस्त होना कहा जाता है।

4. लाल किताब में मंगल के शुभ और अशुभ के बारे में जानकारी दी गयी है। इसके मुताबिक मंगल नेक यानि शुभ के देवता हनुमान जी है और बद यानि अशुभ मंगल को वीरभद्र की संज्ञा दी गयी है। कुछ जगहों पर बद के देवता वेताल, भूत या जिन्न को माना गया है। यदि व्यक्ति बद मंगल का होगा तो उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा, वह जि’द्दी, उ’ग्र हो सकता है। बद मंगल वाले लोक गुं’डे, अ’पराधी, क्रो’धी या अ’क्खड़ किस्म के होतें हैं और इनके साथ क’लह-अ’शांति के सारे लक्षण जुड़े होते हैं। इसके उलट जिनका मंगल नेक का होता है वह सेना में उच्च पद पाते हैं, बड़े अधिकारी बनते हैं। इनकी रूचि खेल और साहसिक कार्य में भी होती हैं। 

5. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के ऊपर ख’तरा मौजूद रहता है या फिर उसके साथ दु’श्मनी हो जाती है। चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है। सूर्य और शनि साथ मिलकर मंगल बद यानि अशुभ बन जाता है। मंगल के साथ केतु भी अशुभ हो जाता है। मंगल के साथ बुध भी अच्छा फल नहीं देता है।

6. मंगलवार के दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में मिश्रित सिंदूर हनुमान जी को लगाना चाहिए। इस दिन ब्रह्माचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन शस्त्र अभ्यास, साहसिक कार्य, विवाह कार्य या फिर मुकदमें का आरंभ करना शुभ माना गया है। बिजली-अग्नि के उपकरण आदि या फिर अन्य धातुओं की खरीद-फरोख्त करने के लिए भी मंगलवार का दिन उचित माना गया है। इस दिन ऋण चुकाने से जीवन में फिर कभी ऋण लेने की जरूरत नहीं पड़ती है।

7. मंगलवार के दिन लाल रंग का खास महत्व रहता है। इसलिए इस दिन लाल वस्त्र, लाल फल, लाल फूल, लाल चंदन और लाल रंग की मिठाई, हनुमानजी को चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है। पांच मंगलवार ऐसा करने से धन की समस्या दूर होती है। लगातार 11 मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रख कर चालीसा पढ़ने के साथ, नीम के पेड़ पर शाम को जल चढ़ाने और चमेली के तेल से दीपक जलाने से सभी तरह कार्य सिद्ध होते हैं।

8.  मंगलवार के दिन मां’स-म’दिरा का उपभोग नहीं करना  चाहिए। इस दिन किसी को भी ऋण नहीं देना चाहिए, अगर ऐसा करते हैं तो ऋण आसानी से मिलने वाला नहीं होता है। मंगल सेनापति का स्वभाव होता है। शुभ हो तो साहसी, शस्त्रधारी और सैन्य अधिकारी बनता है या फिर किसी भी संस्था में लीडर के हैसियत रखता है। शुभ मंगल वाला व्यक्ति श्रेष्ठ नेता भी बनता है। सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बन जाते हैं। दसवें भाव में मंगल का होना अच्छा माना गया है। मंगल अच्छाई पर चलने वाला ग्रह है किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है तो यह पीछे नहीं हटता और वही उसके अशुभ होने का बड़ा कारण बनता है।

9. सूर्य बुध मिलकर मंगल नेक, सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बनाते हैं। बल वृद्धि गुरु के साथ बलवान राशि प्रथम भाव और मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल मकर में उच्च का और कर्क में नीच का माना जाता है। इसके सूर्य, चंद्र और गुरू मित्र हैं। बुध और केतु शत्रु। शुक्र, शनि और राहु सम हैं। मंगल के साथ शनि अर्थात् राहू की स्थिति उत्पन्न होती है। 

10. मंगल को शुभ माना गया है जैसे एक ही भाव में सूर्य और बुध की बुधादित्य युति हो तो मंगल बहुत ही शुभ होता है। इसी तरह आठवें भाव में यदि चंद्र-मंगल हो और चंद्र शुक्र हो अथवा चंद्र मंगल शुक्र हो या फिर मंगल के परम मित्र, सूर्य, चंद्र और गुरू उनकी सहायता कर रहें हो तो यह स्थिति ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक फलदायक मानी गयी है।

11. महाबली, राम के भक्त हनुमान जी को प्रिय मंगलवार का दिन और मंगल ग्रह हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है । ज्योतिष में इस हेतु जो गणनाएं और उपाय दिये गये हैं, उनका प्रयोजन सिर्फ और सिर्फ जगत में समृद्धि  और शान्ति को बनाये रखना है।

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