Bettiah Raj : बेतिया राज की जमीन पर आप भी रहते हैं क्या?, सरकार का आया नया आदेश, जान और समझ लें, नहीं तो…

PATNA : बिहार सरकार ने बेतिया राज (Bettiah Raj) की 15221 एकड़ जमीन और अन्य संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। बिहार विधानसभा ने इस संबंध में “बेतिया राज संपत्ति अधिग्रहण विधेयक-2024” पारित कर दिया है। अब यह विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। विधेयक के कानून बनते ही बेतिया राज की संपत्ति बिहार सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ जाएगी।
क्या है सरकार का मकसद?
बिहार के भूमि एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने स्पष्ट किया कि इस कदम का उद्देश्य अतिक्रमण हटाकर जमीन का उपयोग सार्वजनिक विकास कार्यों में करना है। उन्होंने कहा, “हमारी मंशा किसी को बेघर करने की नहीं है, बल्कि इन संपत्तियों का उपयोग सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए करना है।”
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Bettiah Raj की संपत्तियां कहां-कहां?
Bettiah Raj की मुख्य जिलों में भूमि का वितरण
पश्चिमी चंपारण: 6505 एकड़
पूर्वी चंपारण: 3219 एकड़
अन्य जिलों (सारण, सीवान, गोपालगंज, पटना): विस्तृत भूमि क्षेत्र।
उत्तर प्रदेश में भी संपत्तियां
इलाहाबाद, गोरखपुर, कुशीनगर और वाराणसी में 143 एकड़ जमीन।

अतिक्रमण की स्थिति और सरकार की योजना
राजस्व परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, बेतिया राज की (Bettiah Raj) पश्चिमी चंपारण की 66% और पूर्वी चंपारण की 60% जमीन अतिक्रमित है। सरकार ने इन जमीनों को अतिक्रमण मुक्त करने और इसके बाद इनका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण और अन्य विकास कार्यों में करने की योजना बनाई है।
दावा-आपत्ति के लिए समयसीमा
संबंधित जिलों में विशेष पदाधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।
60 दिनों में दावा-आपत्ति स्वीकार की जाएगी।
90 दिनों में सभी मामलों का निष्पादन किया जाएगा।
बेतिया राज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
बेतिया राज (Bettiah Raj) के अंतिम शासक राजा हरेंद्र किशोर सिंह की मृत्यु 1893 में हुई थी। उनके बाद राज की संपत्ति का प्रबंधन “कोर्ट ऑफ वार्ड्स” के नियंत्रण में चला गया। दशकों से इन संपत्तियों का वैध उपयोग नहीं हो सका। अब सरकार इन जमीनों को संरक्षित कर बिहार के विकास में योगदान देने की योजना बना रही है।

अर्थव्यवस्था पर असर
इस अधिग्रहण से सरकार को करीब 7960 करोड़ रुपये की संपत्ति का सीधा नियंत्रण मिलेगा। यह बिहार की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में सहायक हो सकता है।
यह विधेयक सरकार के विकास योजनाओं के लिए एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में स्थानीय निवासियों और अतिक्रमणकारियों की समस्याओं को सुलझाना बड़ी चुनौती होगी। जमीन पर रह रहे लोगों को अपनी वैधता सुनिश्चित करने के लिए दिए गए समयसीमा का पालन करना होगा।