Kk Pathak : केके पाठक की सख्ती का दिखने लगा असर, दिल्ली से भागकर स्कूल लौटीं मुखिया जी की टीचर पतोहू, लगने लगा रेगुलर अटेंडेंस
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (Kk Pathak) के खौफ से अब सभी ने नियमित तौर पर स्कूल ज्वॉइन कर लिया है। स्कूलों में टीचर्स की हाजिरी में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

हाइलाइट्स
Kk Pathak : शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (Kk Pathak) के एक्शन का असर दिखने लगा है। रोजाना स्कूलों के निरीक्षण और कुव्यवस्था को लेकर सख्ती बरतने का प्रभाव स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगा है।
Kk Pathak की सख्ती का असर
जी हां, केके पाठक (Kk Pathak) की सख्त की ही असर है कि बक्सर के राजपुर प्रखंड के मुखिया के बहू दिल्ली से भागकर चली आयी हैं और अब नियमित तौर पर स्कूल भी जाने लगी है। दरअसल, राजपुर प्रखंड के एक मुखिया की बहू प्रखंड में ही टीचर हैं लेकिन वे यहां नहीं रहती थी और अक्सर दिल्ली ही रहती थी लेकिन अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की सख्ती की वजह से उन्हें भाग फिर अपने गांव आना पड़ा। अब वे नियमित तौर पर स्कूल जाने लगी है।

लगने लगा रेगुलर अटेंडेंस
बताया जाता है कि मुखिया जी के प्रभाव की वजह से अबतक सबकुछ आराम से चल रहा था, वेतन की भी कोई समस्या नहीं थी लेकिन केके पाठक द्वारा शिक्षकों पर नकेल कसे जाने के बाद पूरा मामला ही उलटा पड़ गया। मुखिया जी की बहू अब दिल्ली से भागकर वापस आ गयी हैं।
शिक्षिका को देख बच्चे भी हैरान
वहीं, लंबे अंतराल पर स्कूल आने के बाद अब विद्यालय के बच्चे भी हैरान हैं। बच्चे भी इस बदलाव से काफी खुश दिख रहे हैं और वे केके पाठक (Kk Pathak) की जमकर तारीफ की कर रहे हैं। हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है। बिहार के कई इलाकों में ऐसे मामले देखने को मिल जाएंगे।

Kk Pathak की वजह से स्कूलों में बढ़ी रौनक
लेकिन अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (Kk Pathak) के खौफ से अब सभी ने नियमित तौर पर स्कूल ज्वॉइन कर लिया है। स्कूलों में टीचर्स की हाजिरी में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बड़ी बात ये है कि टीचर्स अब स्कूलों में वक्त पर पहुंचने लगे हैं। स्कूलों में साफ-सफाई भी देखने को मिल रही है. जिसकी वजह से स्कूलों की रौनक बढ़ गयी है।
केके पाठक के आने से लगी पाबंदी
स्थानीय लोगों की माने तो समाज में दबंग लोगों की वजह से कई टीचर इसका नाजायज फायदा उठा रहे थे और विद्यालय से गैर हाजिर होने के बाद भी उनका अटेंडेंस बन जाता था। यही नहीं वक्त पर वेतन भी मिल जाता था। हालांकि इसके बदले उन्हें कुछ खर्च भी करना पड़ जाता था।

केके पाठक के आने के बाद से इसपर पाबंदी लग गई है। टीचर्स के स्कूल नियमित रूप से आने के बाद स्थानीय लोग भी मजे लेने लगे हैं। गौरतलब है कि शिक्षकों को तो अब मोबाइल एप पर ही हाजिरी लगानी पड़ रही है। दरअसल, ये ऐप तभी काम करता है, जब संबंधित स्कूल का शिक्षक विद्यालय में हो या फिर स्कूल के 500 मीटर के दायरे में हो लिहाजा अब दूर बैठे शिक्षकों के लिए ये मुश्किल हो गया है लिहाजा फिर से स्कूलों में टीचर्स और छात्रों के आने से रौनक बढ़ गयी है।