बॉलीवुड का रामायण से है पुराना नाता, फिल्मीं कहानियों में अक्सर दिखायी जाती है रामायण
(फिल्म समीक्षक महेश कुमार मिश्र की कलम से ) आप यकीन करें या न करें, भारतीय फिल्मकार रामायण के कथानक-पात्र-चरित्र का प्रयोग कर कहानियों के कई सालों से वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में कहने का प्रयास कर रहे हैं। आज हम उन कहानियों को लाये हैं जिनमें आप रामायण की झलक देख ही लेंगे।
राजमौली की आरआरआर
इस फिल्म के केन्द्र में एक गांव की बच्ची का अ’पहर’ण है जो कि रामायण के कथानक का आधार है। इस फिल्म में राम, सीता और भीम के साथ अंग्रेज अधिकारी को रावण जैसी क्रू’रता प्रदान की गयी है। ब्लॉकबस्टर इस फिल्म ने सिनेमायी कमायी के रिकॉर्ड स्थापित किये हैं।
श्याम बेनेगल की निशांत
निशांत फिल्म के कथानक का केन्द्र एक गांव के चार भाई हैं जोकि कहीं न कहीं रा’वण के परिवारिक गुणों को प्रदर्शित करते हैं। एक शिक्षक की पत्नी का अ’पहर’ण इस फिल्म का प्रमुख आधार है। इस फिल्म में भी अ’धर्म पर रहने वाले अन्ना और उसके पूरे परिवार को ही कु’कर्मों की सजा ह’त्या के रूप में प्राप्त होती है। यथार्थ के नजदीक रहने वाली इस फिल्म को सच्ची घटना के आधार पर बनाया गया था।
दीपा मेहता की फायर
फायर यानि की आ’ग, दीपा मेहता की यह फिल्म वैसे तो इस्मत चुगतई की कहानी लिहाफ पर आधारित है लेकिन इस फिल्म में स’मलैं’गिकता के बीच रामायण की कहानी को ही फिर से पिरो कर दिखाया गया है। सीता और राधा नाम के किरदारों के साथ दिल्ली के परिवेश में रहने वाले परिवार की कहानी फा’यर है। इस फिल्म में स्त्री जीवन और स्वतंत्रता के रूपक को रामायण से ही लिया गया है।
डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी की पिंजर
अमृता प्रीतम ने पिंजर नाम का उपन्यास लिखा था और डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने इसी नाम से फिल्म की रचना की। इस फिल्म में बं’टवारे के समय को लिया गया है लेकिन इसके केन्द्र में पूरो का अपहरण करना है। यह अपहरण, खानदानी दुश्मनी के लिये ही किया गया है लेकिन अपहरण के बाद स्त्री की स्थिति, स्वतंत्रता और सामाजिक विडम्बनाओं के यह फिल्म दिखाती है। इस फिल्म के माध्यम से एक बार फिर रामायण की कहानी को कहा गया है लेकिन घटनाक्रम को बंटवारे के बीच रखकर, फिल्म का अंत रचा गया है।
लेखक – महेश कुमार मिश्र (फिल्मकार, लेखक और असिस्टेंट प्रोफेसर)