झारखण्ड

75 साल का बुजुर्ग बना युवाओं का प्रेरणास्रोत, हर महीने कमाते हैं 50 से 60 हजार रुपये

CHAIBASA : झारखण्ड के चाईबासा (Chaibasa) के रहवासी 75 साल के एक बुजुर्ग इनदिनों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। उम्र के इस पड़ाव पर ये बुजुर्ग हर महीने 50 से 60 हजार रुपये कमाते है। आज भी वे इतने एक्टिव हैं कि अच्छे-अच्छे युवा भी शरमा जाएं। जी हां, इस बुजुर्ग का नाम है – मेवालाल होनहागा (Mewalal Honhaga), जो चाईबादा के टुंगरी मोहल्ले में रहते हैं।

युवाओं के बने प्रेरणास्रोत

मेवालाल शरीर से काफी चुस्त और दुरुस्त हैं। वे आज भी घंटों साइकिल से शहर में घूमते हैं और पत्नी और बेटी के साथ गौपालन करते हैं। मेवालाल की माने तो वे 32 सालों से गोसेवा से जुड़े हुए हैं और व्यवसाय कर रहे हैं, जिसकी बदौलत उन्हें हर महीने कुल 50 से 60 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है।

मेवालाल की माने तो आज से 32 साल पहले राज्य सरकार की तरफ से जनजातीय किसानों को पशुपालन के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए शत-प्रतिशत अनुदान पर मवेशी दिया जाता था, उसी योजना के तहत एक गाय मिली थी, जिसके बाद से ही वे चाईबासा आकर व्यवसाय करने लगे। आसपास के लोग उनसे दूध लेने आते थे, जिसके बाद धीरे-धीरे ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी और फिर वे अपनी खटाल में गायों की संख्या बढ़ाने लगे और आज उनके पास 9 गायें हैं।

3 बजे ही शुरू हो जाती है दिनचर्या

मेवालाल होनहागा कहते हैं कि उनकी दिनचर्या सुबह 3 बजे से शुरू हो जाती है। सबसे पहले गाय को चारा देने के बाद वे दूध निकालते हैं और फिर 7 बजे तक उनका काम पूरा हो जाता है। इसके बाद वे दोपहर 3 बजे से गायों के दूध निकालने लगते हैं और 6 बजे तक उनके ग्राहक दूध लेकर चले जाते हैं।

मेवालाल का एक बेटा पशु चिकित्सक है, जो हजारीबाग के बरकट्टा प्रखंड में पदस्थापित हैं तो दूसरा बेटा इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है, जो दिल्ली में रहकर UPSC की तैयारी कर रहा है। बेटी एमए-एमएड है। मेवालाल ने सभी बच्चों की परवरिश गोसेवा करते हुए की है।

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