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पिता के नि’धन के बाद सचिन ने किया कुछ ऐसा, जिसे जानकर हर कोई मास्टर-ब्लास्टर को करेगा सलाम

SPORTS DESK : 18 मई 1999 की वो मनहूस रात, जब विश्व के दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के पिता रमेश तेंदुलकर का नि’धन हुआ था। पिता के नि’धन के वक्त सचिन तेंदुलकर इंग्लैंड में खेले जा रहे वर्ल्ड कप (World cup) के लिए भारतीय टीम के साथ थे। 18 मई के अगले दिन जिम्बॉब्वे के खिलाफ टीम इंडिया (Team India) को मैच खेलना था लेकिन तभी एक ऐसी खबर आयी कि सचिन समेत उनके प्रशंसकों का भी दिल द’हला दिया। जी हां, मास्टर-ब्लास्टर (Master Blaster) के पिता रमेश तेंदुलकर के नि’धन की खबर आयी।

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…जब पिता की मौ’त की खबर अंजलि ने दी

बकौल सचिन, वे उस वक्त इंग्लैंड में थे। उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर कुछ दिन साथ गुजारने के बाद मुंबई पहुंच गये थे और फिर उन्होंने सचिन की पत्नी अंजलि को फोन करके पिता के नि’धन की खबर दी और कहा कि व्यक्तिगत रूप से वे सचिन को खबर करे। फिर अंजलि ने सचिन की टीम के दो साथियों रॉबिन सिंह और अजय जडेजा को फोन करके बताया कि वे सचिन के कमरे के बाहर रहें । साथ ही होटलल मैनेजर को भी फोन करके कह दिया कि वह सचिन के कमरे में कोई फोन ट्रांसफर न करे।

इतना सबकुछ करने के बाद अंजलि लेस्टर के टीम होटल में 18 मई की रात को बहुत देर से आयी। इसके बाद सचिन ने जब दरवाजा खोला तो अंजलि, रॉबिन सिंह और अजय जडेजा को देखकर उन्हें अ’नहो’नी का आभास हो गया। इसके बाद अंजलि ने सबकुछ सचिन को बताया। इस खबर को सुनने के बाद सचिन का दिल बैठ गया और वे अंजलि के गले लगकर रोने लगे। हालांकि इसके बाद वे अंजलि के साथ इंडिया के लिए रवाना हो गये। सचिन की माने तो दुख की इस घड़ी में मार्क मैस्केरेनहस ने काफी साथ दिया था।

स’दमे में था पूरा परिवार

सचिन की माने तो कुछ महीने पहले उनके पिता रमेश तेंदुलकर की एंजियोप्लास्टी करायी गयी थी और इसके बाद वे पूरी तरह से ठीक होने लगे थे। वे रेगुलर अपने काम करते हुए चलते-फिरते थे लिहाजा ऐसी घटना की किसी को उम्मीद नहीं थी। सचिन के मुताबिक जब वे घर पहुंचे तो उनकी मां दीवार की एकतरफ बैठी हुई थीं। उन्होंने किसी से एक शब्द नहीं कहा, वे पूरी तरह से स’दमे में थी। वहीं दादी, जिन्होंने अपना बेटा खोया था, वह भी स’दमे में थीं।

अं’त्येष्टि से पहले सचिन ने किया कुछ ऐसा

बकौल सचिन तेंदुलकर अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा को खोने के बाद वे कई रात तक सो नहीं पाये थे। सभी के लिए काफी भावनात्मक पल था, जब चौकीदार, डाकिया और वे सभी लोग, जिनकी उन्होंने अपने जीवनकाल में मदद की थी, सभी उनकी अं’त्येष्टि में आए। इसी दौरान सचिन ने अं’त्येष्टि से पहले अपने चेहरे वाला सोने का सिक्का भी पिता रमेश तेंदुलकर की जेब में रख दिया ताकि वे अपने पिता के साथ हमेशा रह सकें। सचिन की माने तो पिता के बिना उनका जीवन अधूरा हो गया था।

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