मिडिल क्लास की कहानियां हैं ओटीटी के निशाने पर
(फिल्म समीक्षक महेश कुमार मिश्र की कलम से) : ओटीटी प्लेटफॉर्म के दौर में मिडिल क्लास की घरेलू कहानियां जैसे ‘गुल्लक’, ‘पंचायत’, ‘होम शांति’ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहीं हैं। इन कहानियों में छोटी-छोटी परेशानियों से रू-ब-रू होते आमजनों को हम लोग देखते हैं। इन कहानियों के केन्द्र में ऐसे किरदार होते हैं, जोकि हमारे आस-पास के माहौल से ही निकले होते हैं।’
टेलीविजन का संक्षिप्त स्वरूप कहे जाने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म की इन कहानियों के पुरोधा के रूप में हम बिमल रॉय, सत्यजीत रे, ऋषिकेश मुखर्जी और बासु चटर्जी को हमेशा याद रखते हैं क्योंकि भारतीय सिनेमा में आम आदमी को पर्दे पर सबसे पहले इन्हीं महान निर्देशकों ने दिखाया।
ऋषिकेश मुखर्जी ने व्यावसायिक सिनेमा से उलट ‘गुड्डी’ फिल्म में जया भादुड़ी को मुख्य पात्र के लिए चयनित किया। यह पात्र साधारण, आम-सी दिखने वाली लड़की का था जोकि मध्यम वर्ग के पड़ोस की ही लड़की लगती थी। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों में कहानियां आम-वर्ग की छोटी-छोटी परेशानियों से जुड़ी होकर कथानक को पूरा करती थीं। ऋषिकेश दा की फिल्मों में ‘अनाड़ी’, ‘आनंद’, ‘गुड्डी’, ‘मिली’, ‘नमकह’राम’, ‘गोलमाल’ जैसी कई अन्य कहानियां प्रसिद्ध हैं।
ऋषिकेश मुखर्जी के सहायक के रूप में काम करने वाले बासु चटर्जी की फिल्मों में भी हम भारत के माध्यम वर्गीय परिवार को देखते हैं। इन फिल्मों में सारा आकाश, रजनीगंधा, चितचोर, छोटी-सी बात, बातों-बातों में जैसी कई अन्य फिल्में प्रसिद्ध हैं।
मनोरंजन के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के आगमन के बाद रोमांच, एक्शन, हॉ’रर की कई कहानियों ने ओटीटी में शुरूआत की। विदेशों से अलग भारतीय दर्शकों के दिलों में मिडिल क्लास सिनेमा की भारतीय मध्यम वर्ग की कहानियों ने ही धूम मचायी है। इसी का नतीजा है कि अब ओटीटी में भी आम दर्शक के लिए आम आदमी की कहानी लिखी जा रही है।
लेखक – महेश कुमार मिश्र (फिल्मकार, लेखक और असिस्टेंट प्रोफेसर)